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Delhi Ordinance: दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर नियंत्रण से जुड़ा विधेयक मंगलवार (1 अगस्त) को लोकसभा में पेश किया गया. इस पर सदन में विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया और शेम-शेम के नारे लगाए. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोले- ये बिल संविधान का उल्लंघन है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने की कोशिश है. इस बिल पर हंगामे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि संसद इस संबंध में दल्ली में कोई भी कानून ला सकती है. इसलिए इस बिल को संसद के सामने पेश करने की अनुमति दी जाए.

बिल पर बुधवार को होगी बहस

लोकसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल पर बुधवार (2 अगस्त) को बहस होगी. लोकसभा में बिल पेश होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपने कमरे में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद पटेल, अर्जुन मेघवाल के साथ बैठक की. बिल पेश करने के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, एनके प्रेमचंद्रन और शशि थरूर सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने का विरोध किया.  

पिछले महीने ही अध्यादेश को मंजूरी मिली थी

इस अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी 25 जुलाई को मिली थी. इसे लेकर AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्‌ढा ने कहा कि इससे दिल्ली में लोकतंत्र ‘बाबूशाही’ में तब्दील हो जाएगा. चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीनकर भाजपा के नियुक्त किए गए LG को दे दी जाएंगीं. केंद्र ने 19 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अध्यादेश जारी किया था. अध्यादेश में उसने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को मिला था.

अध्यादेश से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है

केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए थे। दिल्ली सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने 17 जुलाई को कहा कि हम यह मामला पांच जजों की संविधान पीठ को भेजना चाहते हैं। फिर संविधान पीठ तय करेगी कि क्या केंद्र इस तरह के संशोधन कर सकता है या नहीं?

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