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Varanasi : वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एंफीथिएटर ग्राउंड में विश्व प्रसिद्ध प्ले ‘जाणता राजा’ का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। इसमें ‘शिवाजी व औरंगजेब’ के बीच हुए युद्ध और संघर्ष की दास्तां को बताया जा रहा है। सिद्ध पीठ हथियामठ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति महाराज ने सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य, केंद्रीय मंत्री डॉ.महेंद्र पांडेय की मौजूदगी में महानाट्य का उद्घाटन किया।

ये प्ले हर साल होता है। बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे लिखित नाटक ‘जाणता राजा’ का मंचन इतना अद्भुत है कि इसे देखने के लिए पहले दिन 12000 लोगों ने टिकट लेकर कार्यक्रम को देखा। ‘जाणता राजा’ इसका मराठी नाम है इसका मतलब होता है बुद्धिमान राजा यानी जो सब जानता हो जाणता राजा। तीन घंटे तक चले नाटक के बीच में तुलजा भवानी की जय के साथ ही हर हर महादेव की गूंज गूंजती रही। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने हिंद स्वराज की स्थापना के लिए किए जाने वाले संघर्षों का मंचन किया।

राष्ट्रीय भावना जगाने का प्ले

महानाट्य के शुभारंभ पर महामंडलेश्वर भवानीनंदन ने कहा कि यह राष्ट्रीय भावना जगाने का महानाट्य है और ऐसे आयोजनों से शिवाजी महाराज के हिंदवी साम्राज्य के संकल्प की रोशनी समूचे संसार में फैलेगी। इस समय भारत में उस उत्साह के लहर की सुनामी आ चुकी है, जहां हिंदू समाज भगवान राम और शिवाजी के हिंदवी साम्राज्य से प्रेरणा लेकर गर्व से कहने लगा है कि हम हिंदू हैं। कहा कि 350 वर्षों बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का प्रत्यक्ष सरकार जाणता राजा महानाट्य के माध्यम से हो रहा है। इस दौरान जाणता राजा काशी प्रांत आयोजन समिति के अध्यक्ष अभय सिंह, काशी प्रांत सेवा भारती प्रांत अध्यक्ष राहुल सिंह, अनिल किंजवेकर, योगेश, डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र, मुरली पाल, भास्करादित्य त्रिपाठी सहित वाराणसी, आसपास के जिले के विधायक, सांसद सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

भारतीय संस्कृति का उद्घोष करने वाला आयोजन-राज्यपाल

सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि जाणता राजा का यह आयोजन भारतीय संस्कृति का उद्घोष करने वाला है। हिंदवी साम्राज्य की स्थापना के 350 वर्ष पूरे होने और स्वतंत्रता के अमृतकाल के अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य देश को एक राष्ट्र बनाने की सोच को साकार करने में सहायक होगा।

नाटक में दिखा औरंगजेब से युद्ध और शिवाजी का राज्याभिषेक

महानाट्य में औरंगजेब से शिवाजी की सेना का युद्ध और फिर महाराज शिवाजी के राज्याभिषेक का दृश्य दिखाया गया। कलाकारों ने मंच पर अपनी उम्दा प्रदर्शन से सभी के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। नाटक के शुरूआत में पठानों द्वारा महाराष्ट्र पर आक्रमण को दिखाया गया। इसके बाद जीजा बाई द्वारा शिवाजी के जन्म पर पूरे महाराष्ट्र में उत्सव जैसा माहौल होता है। हर तरफ बधाई गीत, नाचते झूमते लोग महारानी को बधाई देने पहुंचते हैं। युद्ध से पहले छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई ने मुगल शासक के खिलाफ लड़ाई के अपने बेटे शिवा को भेजा। इसके बाद शिवाजी की सेना मुगलों की सेना पर धावा बोल देती है।

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