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Mann Ki Baat 100th Episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (30 अप्रैल) को मन की बात कार्यक्रम के 100वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. रेडियो के जरिए देशवासियों से जुड़ने के प्रधानमंत्री के 100 सफल प्रयास की न सिर्फ देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा हो रही है.

आइए जानते हैं पीएम मोदी ने अपने खास कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड में क्या-क्या कहा?

1. मन की बात एक अनोखा पर्व बन गया  
‘तीन अक्टूबर 2014 को विजया दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजया दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी। विजया दशमी यानी, बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है। एक ऐसा पर्व, जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। हम इसमें पॉजिटिविटी को सेलीब्रेट करते हैं। हम इसमें लोगों की भागीदारी को भी सेलीब्रेट करते हैं। कई बार यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने-आप में खास रहा।’

2. मन की बात से खड़े हुए जन आंदोलन
‘मन की बात के जरिए कितने ही आंदोलन खड़े हुए। ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो जन आंदोलन बन गया। खिलौनों की इंडस्ट्री को फिर से स्थापित करने का मिशन मन की बात से ही शुरू हुआ था। हमारे भारतीय श्वान (देशी कुत्ते) के बारे में जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी मन की बात से ही शुरू हुई थी। इसके साथ ही गरीब और छोटे दुकानदारों से झगड़ा न करने की मुहिम भी शुरू की गई थी। ऐसे हर प्रयास समाज में बदलाव का कारण बने 

3. ओबामा के साथ मन की बात की तो दुनिया में इसकी चर्चा होने लगी 
‘जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मन की बात की तो इसकी चर्चा दुनिया में हुई। मन की बात मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा का मौका है। मेरे मार्गदर्शक थे लक्ष्मण राव, वो कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए। उनकी इस बात ने मुझे प्रेरणा देती है। यह कार्यक्रम दूसरों से सीखने की प्रेरणा बन गया है। इसने मुझे आपसे कभी दूर नहीं होने दिया।’

4. देशवासी से कटकर नहीं रह सकता
‘जब मैं गुजरात का सीएम था, तब सामान्य तौर पर लोगों से मिलना-जुलना हो जाता था। 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन और काम का स्वरूप अलग है। सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा सबकुछ अलग है। शुरुआती दिनों में खाली-खाली सा महसूस करता था। 50 साल पहले घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि अपने ही देशवासियों से संपर्क नहीं हो पाएगा। देशवासी सबकुछ हैं और उनसे कटकर नहीं रह सकता था। मन की बात ने मुझे मौका दिया। पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक सीमित रहा। जनभाव मेरा अटूट अंग बन गया।’

5. 2030 तक हम हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं
‘भारत और यूनेस्को का इतिहास बहुत पुराना है। एजुकेशन पर यूनेस्को काम कर रहा है। 2030 तक हम हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं। हम संस्कृति को भी बचाना चाहते हैं। आप भारत का इसमें रोल बताइए? आपसे बात करके खुशी हो रही है। आपने शिक्षा और संस्कृति संरक्षण पर सवाल पूछा है। ये दोनों विषय मन की बात के पसंदीदा विषय रहे हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प जैसे प्रयास हुए हैं। गुजरात में गुणोत्सव और शाला प्रवेश उत्सव शुरू किए थे।’

6. पर्यावरण को लेकर मन की बात का प्रयास भी जारी
‘मैं हमेशा ही कहता हूं कि हमें विदेश में टूर जाने से पहले अपने देश के टूरिज्म प्लेसों पर जाना चाहिए। ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक और ई-वेस्ट पर भी बात की है। आज दुनिया जिस पर्यावरण को लेकर इतनी परेशान है, उसे लेकर मन की बात का प्रयास भी जारी है। मुझे यूनेस्को की डीजी का बयान भी आया है। उन्होंने मन की बात के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है और एक संदेश भी भेजा है।’ 

7. अहम् से वयम् की यात्रा
‘जनभाव कोटि-कोटि जनों के साथ मेरे भाव अटूट विश्व का अंग बन गया। हर महीने मैं लोगों के हजारों संदेश पढ़ता हूं। मैं देशवासियों के भावों को महसूस करता हूं। मुझे लगता ही नहीं कि मैं आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मेरे लिए मन की बात कार्यक्रम नहीं है। मेरे लिए यह आस्था, पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो प्रसाद लाते हैं। मेरे लिए मन की बात में आपके संदेश प्रसाद की तरह हैं। मेरे लिए मन की बात आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। यह अहम् से वयम् की यात्रा है।’ 

8. कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी
‘मन की बात में हमने लोगों के प्रयासों को हाईलाइट किया। एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी प्रकाश राव के बारे में बात की, जो गरीब बच्चों को पढ़ाते थे। झारखंड के संजय कश्यप, हेमलता जी का उदाहरण हमने दिया। कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी जगह दी। लक्षद्वीप का क्लब, कर्नाटक का कला चेतना मंच… देश के कोने-कोने से मुझे उदाहरण भेजे गए। देशभक्ति पर गीत, लोरी और रंगोली के कम्पटीशन शुरू किए। स्टोरी टेलिंग पर भी मैंने बात की। इस साल हम जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं। यह वजह है कि एजुकेशन के साथ डायवर्स ग्लोबल कल्चर को समृद्ध करने के लिए प्रयास और तेज हुआ है।’

9. मन की बात ईश्वर रूपी जनता के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे 
‘हर महीने मैं देशवासियों के त्याग की पराकाष्ठा देखता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि आपसे थोड़ा भी दूर हूं। यह मेरे लिए अध्यात्मिक यात्रा बन गया है। यह तो मैं नहीं, तू ही की संस्कार साधना है। कल्पना करिए कि कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन जमीन पर पेड़ लगा रहा है। कोई 30 साल से जल संरक्षण के लिए बावड़ी बना रहा है। कोई निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है। कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार मन की बात में इनका जिक्र करते वक्त मैं भावुक हुआ। आकाशवाणी के साथियों को इसे दोबारा रिकॉर्ड करना पड़ा।’

10. देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने प्रेरणा दी
‘उपनिषदों में कहा गया है- चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो। आज हम इसी चरैवेति भावना के साथ मन की बात का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में मन की बात माला के धागे की तरह है। हर एपिसोड में देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने प्रेरणा दी है। एक तरह से मन की बात का हर एपिसोड अगले एपिसोड की जमीन तैयार करता है। यह कार्यक्रम हमेशा सद्भावना,सेवा भावना से आगे बढ़ा है।’

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