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वाराणसी के जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आज ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े एक मामले पर आदेश आना है। जिससे ये तय होगा कि मस्जिद से जुड़े 7 मामलों की सुनवाई एक साथ होगी या नहीं। सभी पक्षों और वादियों के वकील इस समय कोर्ट पहुंच चुके हैं। अभी तक इनकी सुनवाई सिविल और फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो रही थी।

 

लेकिन, 17 अप्रैल को कोर्ट ने आदेश दिया था। जिसमें कहा गया था कि सभी 7 मामलों को एक साथ जिला जज के सामने रखा जाए। उसके बाद तय होगा कि इसे एक साथ सुना जाए या अलग-अलग। कोर्ट के इसी आदेश के पालन में आज सभी मामलों की फाइल सिविल और फास्ट ट्रैक कोर्ट से निकाल कर जिला कोर्ट में लाया जाएगा।

एक ही प्रकृति के हैं सातों वाद

जिन सात मामलों को स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध जिला जज की अदालत से शृंगार गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास ने किया है, वो सभी एक ही प्रकृति हैं। पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी व अन्य,तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं।

 

यह सभी वाद एक ही प्रकृति के बताए गए हैं। इनमें आराजी नंबर 9130 के स्वामित्व की मांग और ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर व अन्य देवी देवताओं के राग भोग, दर्शन पूजन आदि की मांग नाबालिग देवता मानते हुए की गई है।

हिंदू पक्ष के 5 बड़े दावे

  • मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।
  • मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।
  • वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।
  • श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।
  • हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि पुराना पड़ा फव्वारा है।

वुजूखाने वाली जगह पर बताया था आदिविश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग
अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्ञानवापी के अंदर वुजूखाना वाली जगह पर जो आकृति मिली है, वह आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग है। इसलिए, उनका नियमित पूजा-स्नान, शृंगार और राग-भोग जरूरी है। भगवान की पूजा सनातन धर्मियों का परम कर्तव्य है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने 4 जून 2022 को ज्ञानवापी परिसर जाकर शिवलिंग की पूजा का ऐलान किया था। हालांकि, उस दिन सुबह पुलिस और प्रशासन ने उन्हें ज्ञानवापी जाने से रोका था। इससे नाराज होकर वह श्रीविद्या मठ में अनशन पर बैठ गए थे। उस दौरान उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक शिवलिंग की पूजा शुरू नहीं हो जाती, वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।

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