नई दिल्ली. भाजपा ने सोमवार को सोनिया गांधी के खिलाफ इलेक्शन कमीशन में शिकायत दर्ज कराई है। दरअसल, सोनिया गांधी ने 6 मई को कर्नाटक के हुबली में एक रैली की थी। सोनिया की यह कर्नाटक में पहली और आखिरी रैली थी।
रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ट्वीट कर लिखा- 6.5 करोड़ कर्नाटक वासियों को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (CPP) चेयरपर्सन सोनिया गांधी का स्ट्रॉन्ग मैसेज। कांग्रेस कर्नाटक की साख, संप्रभुता और अखंडता पर कभी आंच नहीं आने देगी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निर्वाचन आयोग का रुख कर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई करने और चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक के लिए ‘संप्रभुता’ शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर उनकी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर आयोग को एक ज्ञापन भी सौंपा.
पार्टी ने कहा, ‘कर्नाटक भारत संघ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य राज्य है और भारत संघ के सदस्य राज्य की संप्रभुता की रक्षा करने का कोई भी आह्वान अलगाव के आह्वान के समान है और यह खतरनाक और घातक परिणामों से भरा हुआ है.’
संवाददाताओं से बातचीत में पार्टी नेता तरुण चुघ ने जनप्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की मान्यता रद्द कर दी जानी चाहिए. भाजपा ने इस मुद्दे पर सोनिया गांधी के उस बयान की एक प्रति भी सौंपी, जिसे कांग्रेस ने ट्वीट किया था.
पीएम मोदी भी साध चुके हैं निशाना
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले अपनी अंतिम प्रचार रैली में रविवार को सोनिया गांधी के इसी बयान के मद्देनजर आरोप लगाया था कि कांग्रेस कर्नाटक को भारत से अलग करने की खुलकर वकालत कर रही है। सोनिया की हुबली में हुई चुनावी रैली के बाद प्रधानमंत्री ने यह आरोप लगाया था।
कांग्रेस ने लगाया पक्षपात का आरोप
दूसरी ओर कांग्रेस ने कर्नाटक की भाजपा सरकार के खिलाफ दिए गए ‘रेट कार्ड’ संबंधी विज्ञापन पर निर्वाचन आयोग द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया तथा जवाब देने के लिए और समय की मांग की है।
कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से आचार संहिता का ‘बार-बार और सरेआम’ उल्लंघन किए जाने के बावजूद निर्वाचन आयोग ने उन्हें न तो नोटिस जारी किया और न ही उनकी निंदा की। आयोग की ओर से दिए गए नोटिस के ‘आरंभिक जवाब’ में पार्टी के नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि आयोग की ओर से जवाब के लिए प्रदान किया गया 24 घंटे का समय पर्याप्त नहीं है क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान अपने आखिरी दौर में है।