नई दिल्ली। केंद्र और मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मणिपुर में हालात सामान्य हो रहे हैं। केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मणिपुर में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से दस दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
सेना और असम राइफल्स कर रही निगरानी क्षमता बढ़ाने का काम
मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों पर सेना ड्रोन और हेलिकॉप्टरों के जरिये कड़ी नजर रख रही है। पिछले हफ्ते हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में भी कर्फ्यू में ढील दी गई। वहीं आम जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए सेना और असम राइफल्स के 100 से अधिक कॉलम काम कर रहे हैं।
भारतीय सेना के अनुसार, असम राइफल्स और सेना के 100 से ज्यादा कॉलम 96 घंटे से निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए काम रहे हैं। साथ ही वायुसेना से जुड़े संसाधनों के इस्तेमाल को भी बढ़ाया जा रहा है। वहीं, भीतरी इलाकों के साथ ही भारत-म्यांमार सीमा पर भी निगरानी के लिए हवाई वाहनों और हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है।
सेना ने कहा कि वायुसेना से जुड़े संसाधनों में बढ़ोतरी होने से सेना और असम राइफल्स की प्रभावशीलता को एक प्रमुख प्रोत्साहन मिला है। इसकी वजह से मणिपुर में न केवल भीतरी इलाकों में, बल्कि भारत-म्यांमार सीमा पर फिलहाल शांति बनी हुई है। इससे विभिन्न शिविरों में रहने वाले समूह या विद्रोही पर भी नजर रखी जा रही है, जिससे वे किसी भी घटना को अंजाम न दे सकें।
मणिपुर में दो दिन से नहीं हुई कोई हिंसा- केंद्र
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि पिछले दो दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है और कर्फ्यू में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में CAPF की 55 और सेना की 100 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया निर्देश
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के दौरान विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राहत शिविरों में उचित व्यवस्था पर जोर दिया है और सरकार से लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मानवीय मुद्दे हैं, इसलिए राहत शिविरों में जरुरी इंतजाम किए जाएं।
17 मई को होगी मामले में अगली सुनवाई
शीर्ष अदालत ने पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने का आदेश दिया है। बता दें कि मणिपुर की पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासियों और इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर हुई हिंसक झड़पों में 50 से अधिक लोग मारे गए हैं। जबकि 23,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है और आश्रय दिया गया है। बता दें कि शीर्ष अदालत ने मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की है।