Cyclone Biparjoy Big Updates: चक्रवातीय तूफान बिपरजॉय को लेकर ताजा अपडेट आया है. चक्रवात भारत की ओर बढ़ रहा है और ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक 15 जून दोपहर 3:00 बजे तक गुजरात के जखाऊ तट से टकराने की संभावना है. यह पूर्वानुमान केंद्र सरकार द्वारा साइक्लोन के लिए स्थापित किए गए कंट्रोल रूम द्वारा एकत्रित की गई सुबह 11 बजे तक की जानकारी के बाद जारी किया गया है. गुजरात और महाराष्ट्र में तूफान अपना सबसे ज्यादा रौद्र रूप दिखाएगा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसे बेहद गंभीर चक्रवातीय तूफान की कैटेगरी में घोषित करते हुए अलर्ट जारी किया है.
सौराष्ट्र और कच्छ तटों के लिए चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने एक बार फिर सौराष्ट्र और कच्छ तटों के लिए चेतावनी दी है। उन्होंने चक्रवात के बढ़ते खतरे को देखते हुए सौराष्ट्र-कच्छ के तटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, राज्य के राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने कहा, ” खतरे को देखते हुए मंगलवार शाम तक, गुजरात के आठ तटीय जिलों से जिनके सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है, 37,700 से अधिक लोगों को अस्थायी आश्रयों में सुरक्षित दूसरी जगह पहुंचाया गया है। वहीं, यहां सैनात को तैनात किया गया है।

4 हजार परिवारों का स्थानांतरित
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया कि बिपरजॉय के मद्देनजर द्वारका जिला प्रशासन ने समंदर के तट पर बसे 38 और आस-पास के 44 गांव के निचले इलाकों पर रहने वाले 4 हजार परिवारों को स्थानांतरित किया है। 138 महिलाओं की 20 तारीख से पहले डिलीवरी होनी है उन्हें उनके परिजन के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
24 साल पुराने सुपर साइक्लोन की यादें ताजा
गुजरात में आ रहे चक्रवात बिपरजॉय के खतरे ने 24 साल पुराने सुपर साइक्लोन की यादें ताजा कर दी हैं। 29 अक्टूबर 1999 की सुबह 10:30 बजे यह तूफान ओडिशा के तटीय किनारों से टकराया था। हवा की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि पारादीप में लगा मौसम विभाग का एनीमोमीटर भी रिकॉर्ड नहीं कर सका। करीब 36 घंटे तक 260 किमी की रफ्तार से हवाएं चलती रहीं। इस सुपर साइक्लोन में मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 9,885 था, जबकि कुछ सोर्स बताते हैं कि 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। 3 लाख से ज्यादा मवेशियों की मौत हुई और 16 लाख से ज्यादा घर डैमेज हुए। यह ऐसा तूफान था जिसने उस समय की सरकार ही नहीं, प्राकृतिक आपदा पर काम करने वाले वैज्ञानिकों, रिर्सचरों और अन्य लोगों को हिलाकर रख दिया। सबको एहसास हुआ कि अगर तूफानों में इतनी तबाही होती रही तो डेवलपमेंट का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। हर तूफान के साथ ही विकास 20-25 साल पीछे चला जाएगा।