बलिया: बढ़ते तापमान व गर्मी के बीच पिछले आठ दिनों में उत्तर प्रदेश के बलिया जिला अस्पताल में 121 लोगों की मौत हो गई है और इनमें से 36 मौतें पिछले 24 घंटे में हुई हैं। वहीं 400 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि डॉक्टरों ने कहा है कि, मौतों के अलग-अलग कारण हैं, लेकिन भीषण गर्मी भी एक कारक हो सकती है. उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में प्रचंड लू चल रही है, अधिकांश स्थानों पर तापमान 43 डिग्री के ऊपर में देखा जा रहा है.
बनाई गई विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम
शासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर दिवाकर सिंह को हटा दिया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बलिया भेजी गई है। गर्मी व लू की चुनौती को देखते हुए विशेष वार्ड बनाया गया है। आशंका जताई जा रही है कि ये मौतें लू की वजह से हुई हैं। इस बीच, जिला अस्पताल के डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। आशा कार्यकर्ताओं को गांवों में गंभीर मरीजों की तलाश करने के निर्देश हैं। ज्यादातर लोग सर्दी, बुखार, उल्टी, दस्त, सांस सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित आ रहे हैं।

वाराणसी भेजे जा रहे मरीज
मरीजों की बड़ी तादाद के कारण जिला अस्पताल के सभी वार्ड फुल हैं। देहात से आने वाले गंभीर मरीजों को वाराणसी भी रेफर किया जा रहा है। मौतों के चलते जिले के सभी सीएचसी व पीएचसी के डॉक्टर भी हाई अलर्ट पर रखे गए हैं। डीएम रवीन्द्र कुमार ने कहा कि मरीजों को सांस, बुखार व खांसी की दिक्कत है। लू की शिकायत नहीं है। अस्पताल में बेहतर इलाज की सुविधा है। गर्मी को देखते हुए कूलर व एसी लगाए गए हैं।
बलिया में लू-प्रकोप के अंतर्गत जनपद में येलो अलर्ट जारी
मौसम विज्ञान विभाग के द्वारा जनपद में 18 जून तक लू चलने की संभावना को देखते हुए यलो अलर्ट जारी किया गया है। वर्तमान में गर्म हवा तीव्रता से चल रही है। इससे अतिसंवदनशील समूहों जैसे बच्चों, वृद्धों, गर्भवती महिलाओं, दिव्यांगों एवं श्रमिकों को विशेष रूप से लू से बचाव सम्बंधी उपायों अथवा लू की स्थिति में क्या करें व क्या न करें के संबंध में लोगों को जागरूक करने की अपील की गई है। अपर जिलाधिकारी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि जनपद में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला चिकित्सालयों में ओआरएस घोल, आवश्यक दवाएं, रोगियों के समुचित उपचार एवं कूल रूम की व्यवस्था किया जाना आवश्यक है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही की शिकायत मिलने पर संबंधित लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।