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ChandraYaan-3 : चांद पर भारत का तिरंगा लहराने के लिए आज इसरो का तीसरा मून मिशन लॉन्च होने जा रहा है। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन को लेकर हर तरह की तैयारी को पूरा कर लिया गया है. आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग होगी. इस मिशन पर ना सिर्फ देशवासियों की बल्कि दुनिया भर के लोगों की नजरें टिकी हुई हैं. चंद्रयान-3 की सफलता से भारत की छवि में चार चांद लग जाएंगे. वैश्विक पटल पर भारत का कद बढ़ जाएगा. इसकी सफलता के लिए हर भारतवासी दुआ कर रहा है. लैंडर के सतह पर उतरते ही भारत विश्व का ऐसा करने वाला चौथा देश होगा. 

चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

पिछली विफलता से ली सीख

इसरो ने पिछली बार विफल हुए चंद्रयान मिशन से सीख लेते हुए चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर उतरने के दायरे को बढ़ा दिया है, जिससे चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग की संभावनाएं पहले से कई गुना बढ़ गई है. हर भारतवासी उम्मीद और दुआ करता है कि चंद्रयान अपने मकसद में कामयाब हो और विश्व में भारत को चौथे सफल मून मिशन के लिए पहचान दिलाए.

पूजा अर्चना से की शुरुआत

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के पहले इसरो के प्रमुख वैज्ञानिकों ने 13 जुलाई 2023 को तिरुमाला में स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना कर मिशन मून की सफलता की प्रार्थना की है. इस प्रार्थना में तीन महिला वैज्ञानिक और दो पुरुष वैज्ञानिक शामिल रहे. चंद्रयान 1 और 2 की असफलता के बाद चंद्रयान-3 में कई बदलाव कर उम्मीद जताई जा रही है कि यह मिशन कामयाब होगा और अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत सफल चंद्र मिशन में चौथे देश के रूप में अपना नाम दर्ज कराएगा.

कई जरूरी संसाधनों का भंडार है शेकलटन क्रेटर

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव 4.2 किलोमीटर वाला एक बड़ा शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater) है। इस खास जगह पर अरबों सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। इस वजह से यहां का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस जगह पर हाइड्रोजन की मात्रा काफी ज्यादा है। इस कारण यहां पर पानी की मौजूदगी हो सकती है। कई वैज्ञानिकों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि Shackleton Crater के पास 100 मिलियन टन क्रिस्टलाइज पानी मिल सकता है। 

इसके अलावा यहां पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मरकरी और सिल्वर जैसे जरूरी संसाधन मिल सकते हैं। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत रोवर के माध्यम से इन्हीं जगहों को एक्सप्लोर किया जाएगा। रोवर की मदद से चांद की सतह की मिट्टी, वहां का तापमान और वातावरण में मौजूद गैसों के बारे में पता लगाया जाएगा। इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की संरचना और वहां का भूविज्ञान कैसा है? इन तथ्यों के बारे में भी जाना जाएगा। 

ISRO के चंद्रमा तक पहुंचने के मिशन का घटनाक्रम 

  • 15 अगस्त 2003 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की.
  • 22 अक्टूबर 2008: चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी.
  • आठ नवंबर 2008: चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.
  • 14 नवंबर 2008:  चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की.
  • 28 अगस्त 2009: इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई.
  • 22 जुलाई 2019: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया.
  • 20 अगस्त 2019: चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.
  • दो सितंबर 2019: चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया.
  • 14 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्चपैड से उड़ान भरेगा.
  • 23/24 अगस्त 2023: इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनायी है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा

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