Monsoon session 2023: मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में गतिरोध के बीच कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को नियमों के तहत आवश्यक 50 से अधिक सांसदों की गिनती के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि बहस का समय वह तय करेंगे और सदन को बतायेंगे.

दरअसल, मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में बयान की मांग कर रहा है. नियमानुसार माना जा रहा है कि अगले हफ्ते संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है. मानसून सत्र की शुरुआत होने के साथ ही संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित रही है. बुधवार (26 जुलाई) को भी 12 बजे तक के लिए लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित रही.
पहले संसद में विपक्ष और सरकार के समर्थन में सांसदों की संख्या जान लीजिए
भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है।
तो विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया
विपक्ष अभी किसी भी हालत में चर्चा के केंद्र बिंदु में बने रहना चाहता है। सरकार को हावी होने का कोई मौका विपक्ष नहीं देना चाहता है। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि मणिपुर मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बयान दें। वहीं, सरकार ने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह इस मसले पर बयान देंगे। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए विपक्ष पीएम मोदी को संसद में बुलाने की कोशिश कर रहा है। कुल मिलाकर सारे विपक्षी दल पीएम मोदी को ही घेरना चाहते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अभी पूरी एनडीए का सिर्फ एक चेहरा है और वह है पीएम मोदी का। ऐसे में भाजपा भी नहीं चाहती है कि किसी भी तरह से पीएम मोदी इस तरह की विवादों में फंसे। इसलिए सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही पीएम मोदी ने मीडिया के सामने मणिपुर कांड की निंदा की और सख्त कार्रवाई की बात भी कही।’
इस प्रस्ताव की प्रक्रिया
- अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ़ लोकसभा में लाया जा सकता है
- कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है
- अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी
- अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर स्पीकर चर्चा के लिए दिन तय करते हैं
- स्पीकर को 10 दिन के अंदर दिन तय करना ज़रूरी
- सरकार को सदन पटल पर बहुमत साबित करना ज़रूरी
कब-कब आया अविश्वास प्रस्ताव?
- साल 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव, तीन बार सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाई
- साल 1990 में वीपी सिंह की सरकार के खिलाफ
- साल1997 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार के खिलाफ
- साल 1999 मेंअटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ
- साल 2018 में पीएम मोदी सरकार के खिलाफ TDP का अविश्वास प्रस्ताव, 126 के मुक़ाबले 325 वोटों से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था.
मोदी की भविष्यवाणी वाला 2018 का बयान वायरल
सरकार के खिलाफ के अविश्वास प्रस्ताव लाने की भविष्यवाणी पीएम मोदी ने 5 साल पहले ही कर दी थी। दरअसल, 2018 में जब संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब लोकसभा में जवाब देते हुए PM मोदी ने कहा था, “मैं आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी करें कि आपको 2023 में फिर से अविश्वास लाने का मौका मिले।”