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Varanasi News : वाराणसी सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आकाश वर्मा की अदालत में बुधवार को ज्ञानवापी से जुड़े एक अन्य वाद में सुनवाई हुई। प्रकरण के अनुसार ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की तरफ से बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी व इंदु तिवारी ने कोर्ट में वाद दाखिल की है। इसमें वादी ने ज्ञानवापी स्थित आराजी पर भगवान का मालिकाना हक घोषित करने, केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग और ज्ञानवापी की 1993 में कराई बैरिकेडिंग हटाने की मांग की गई है। दाखिल याचिका पर वादी ने फोटोग्राफ समेत दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए। जज ने सुनवाई के बाद आठ अगस्त को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

पिछली तारीख पर वादिनी पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के उस आवेदन पर आपत्ति जताई गई, जिसमें वाद के समर्थन में दिए गए साक्ष्यों की प्रति मांगी गई है। वादिनी पक्ष ने आपत्ति आवेदन में कहा कि जो भी साक्ष्य दिए गए हैं, वह सार्वजनिक व ऐतिहासिक हैं। इसे कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है। यह मामले को विलंबित करने का प्रयास है। इसे खारिज किया जाना चाहिए। इस आवेदन पर अदालत अगली तारीख पर सुनवाई करेगी। 

आदिविश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्ञानवापी के अंदर वुजूखाना वाली जगह पर जो आकृति मिली है, वह आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग है। इसलिए, उनका नियमित पूजा-स्नान, शृंगार और राग-भोग जरूरी है। भगवान की पूजा सनातन धर्मियों का परम कर्तव्य है।

ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी में किया था 5 घंटे सर्वे

ज्ञानवापी में सोमवार को सील वुजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर को ASI टीम ने नापा था। दरअसल, वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया था। शुरुआती 3 घंटे के सर्वे में फीता लेकर पूरे परिसर को नापा गया। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाए गए। एक-एक एक्टिविटी रिकॉर्ड की गई। उधर, मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया। वह सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक के लिए सर्वे पर रोक लगा दी।

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