Varanasi : महादेव की नगरी काशी में दीपावली के दिन वाराणसी के अस्सी घाट पर भव्य दीप उत्सव का आयोजन किया गया। पूरे घाट को 1008 दीपों से सजाकर विशेष गंगा आरती की गई। वहीं दीपावली के पावन पर्व पर रंगोली के माध्यम से 9 फीट शंख की रंगोली जिसमें भगवान राम का छाया चित्र बनाया गया। वहीं बाबा विश्वनाथ का आंगन भी दीपों से सजाया गया।

दीपावली का उल्लास अमावस की रात में हर चेहरे पर नजर आया। उल्लास उन आंखों में रहा जो बीती रात साज-सजावट में सोई नहीं। उस अलसाई सुबह में रहा जो उनींदी से जगी थी। उन दीयों में रही जो अंधियारे को परे धकेल उजियारे को बिखेर रही थी। उन मंत्रों में रहा जो सर्वत्र आस्था का उजास और भक्ति की मिठास घोल रही थी। मधुर कलरव में रहा जो भक्ति भाव से पूरित और शुभकामनाओं से प्रेरित होते हुए न्योछावर हो रही थीं।

पूजा की चौकी पर महालक्ष्मी संग विराजे गणेश
घरों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अलग-अलग मुहूर्तों में महालक्ष्मी और गणेश का पूजन हुआ। पूजा की चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां विराजमान कराई गईं। वरुण के प्रतीक रूप में कलश की स्थापना हुई। रिद्धि और सिद्धि के प्रतीक के रूप में दो दीपक जलाए गए। विधि-विधान पूर्वक पूजन करने वालों ने नवग्रह और 16 मातृका का भी आह्वान किया। महालक्ष्मी और गणेश को मिष्ठïान, आभूषण समेत विविध पकवान भी अर्पित किए गए। पूजन करने के बाद इष्टदेवों के निमित्त दीपदान किए गए।

देखते ही बन रही थी दीयों की रौनक

गंगा घाट से लेकर गलियों की रौनक देखते ही बन रही थी। जिधर भी नजर जाती रंगीन रोशनी में नहाई इमारतें नजर आतीं। दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा का बहुत से परिवारों में निर्वाह किया गया। अस्सी से राजघाट के बीच घाटों पर दीप जलाए गए और रंगीन रोशनी से इमारतों को सजाया गया था। श्री काशी विश्वनाथ के गंगा द्वार को भी दीयों की रोशनी से सजाया गया था। कालभैर, बटुक भैरव, दुर्गा मंदिर समेत शहर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने दीपदान करके दीपावली की परंपरा निभाई