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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्धाटन राष्ट्रपति से कराने की याचिका शुक्रवार (26 मई) को सुनवाई से इनकार कर दिया है और स्पष्ट कहा कि यह कोर्ट का विषय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा कि हम जानते हैं ये याचिका क्यों दाखिल हुई है. ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम इस मामले में दखल नहीं देना चाहते हैं. आप चाहते हैं तो हाईकोर्ट जा सकते हैं. हालांकि, याचिकाकर्ता वकील ने हाईकोर्ट जाने की जगह अपनी अपील वापस लेने का फैसला किया.

किसने दायर की थी याचिका?
सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गयाकि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।

क्या था याचिका में
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर लोकसभा सचिवालय को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, जो ‘देश की प्रथम नागरिक और इस लोकतांत्रिक संस्था की प्रमुख हैं.’ याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादी-लोकसभा सचिवालय और भारत संघ-उन्हें (राष्ट्रपति को) उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को अपमानित कर रहे हैं. बता दें कि 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये जाने के कार्यक्रम है, जिसे लेकर विवाद जारी है. करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को से उद्घाटन न किये जाने की वजह से समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

कौन पक्ष में और किस-किस ने किया विरोध?
नए संसद भवन पर केंद्र सरकार के साथ अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) मिलाकर 25 दल हैं। वहीं, उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम से कई दलों ने किनारा कर लिया है। बसपा, जद-एस और तेलुगू देशम ने बृहस्पतिवार को समारोह में शामिल होने का एलान किया। उन्होंने कहा, यह जनहित का मुद्दा है, इसका बहिष्कार करना गलत है। एनडीए में भाजपा समेत 18 दलों के अलावा विपक्षी खेमे के सात दलों ने उद्घाटन समारोह में शिरकत करने की रजामंदी दी है।

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