Varanasi: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाली अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया। वाराणसी की जिला अदालत भी पहले मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर चुकी है।ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई वाराणसी कोर्ट में चलता रहेगा। वहीं इस खबर के बाद से हिंदू पक्ष में खुशी की लहर है।
श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है वाराणसी कचहरी में मौजूद महिला वादियों, उनके पैरोकारों और अधिवक्ताओं ने हर-हर महादेव के उद्घोष से हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है।
मामले पर कोर्ट ने क्या कहा
“वर्तमान मामले में, वादी विवादित संपत्ति पर मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश और भगवान हनुमान की पूजा करने के अधिकार की मांग कर रहे हैं, इसलिए, सिविल कोर्ट के पास इस मामले का फैसला करने का अधिकार क्षेत्र है। आगे, वादी की दलीलों के अनुसार, वे 1993 तक लंबे समय से लगातार विवादित स्थान पर माँ श्रृंगार गौरी, भगवान हनुमान, भगवान गणेश की पूजा कर रहे थे।
1993 के बाद, उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य के नियामक के तहत वर्ष में केवल एक बार उपरोक्त देवताओं की पूजा करने की अनुमति दी गई थी। इस प्रकार वादी के अनुसार, उन्होंने 15 अगस्त, 1947 के बाद भी नियमित रूप से विवादित स्थान पर माँ श्रृंगार गौरी, भगवान हनुमान की पूजा की। इसलिए, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 वादी के वाद पर रोक के रूप में कार्य नहीं करता है और वादी का मुकदमा अधिनियम की धारा 9 द्वारा वर्जित नहीं है।”