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Varanasi: ज्ञानवापी मामले में बयानबाजी पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी सहित 2000 अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश नवम विनोद कुमार सिंह की अदालत में आज इस केस की सुनवाई हुई। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी की ओर से अधिवक्ता एहतेशाम आब्दी और शवनवाज परवेज ने वकालत नामा लगाया। कोर्ट ने अन्य विपक्षीगण को उपस्थित होने के लिए अगली सुनवाई 16 अगस्त की तिथि तय किया। 

अखिलेश और ओवैसी ने क्या कहा था?

अपर जिला जज (नवम) की अदालत में प्रतिवादी पक्ष यानी अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी पर सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय का आरोप है कि वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को लेकर इन लोगों ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला बयान दिया था। अखिलेश यादव कहा था, “पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख कर झंडा लगा दो तो वही भगवान और शिवलिंग हैं। जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, “हम अब किसी और मस्जिद को खोने नहीं देंगे, ज्ञानवापी फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है। ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा। देश में अस्थिर प्रभाव पैदा कर सकता है।”

निचली अदालत निरस्त कर चुकी है प्रार्थना पत्र

हरिशंकर पांडेय ने अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी समेत अन्य पर एसीजेएम (एमपी-एमएलए) कोर्ट में एक वाद दाखिल किया था। बयानबाजी मामले में चौक थाने पर मुकदमा दर्ज करने की मांग को 4 फरवरी को एसीजेएम एमपी-एमएलए कोर्ट ने निरस्त कर दिया था, जिसके बाद हरिशंकर पांडेय अखिलेश और ओवैसी के बयान के खिलाफ 11 मार्च को जिला जज की कोर्ट में रिवीजन पिटिशन (पुनरीक्षण याचिका) दाखिल किया था। इसे स्वीकार कर पहली सुनवाई 25 मार्च को हुई, फिर 17 जून, 7 जुलाई और आज 20 जुलाई को हुई।

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