Manipur Violence: मणिपुर में महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराए जाने के केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं. वहीं, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है. हमने कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए. सरकार को इस बात पर कोई आपत्ति नहीं कि सीधे सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी करे. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित कर दी है।

पीड़ित महिलाओं की भी याचिका
सुप्रीम कोर्ट खुद संज्ञान लेकर यह सुनवाई कर रहा है. लेकिन मामले को लेकर कई याचिकाएं भी दाखिल हुई हैं. इनमें 4 मई की घटना में दुर्व्यवहार की शिकार दोनों महिलाओं की याचिका भी शामिल है. उनकी तरफ से बोलते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच सीबीआई को नहीं सौंपनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से एसआईटी बनाए.
महिलाओं में आत्मविश्वास जगाना ज़रूरी
याचिकाकर्ताओं की तरफ से इंदिरा जयसिंह, कॉलिन गोंजाल्विस, शोभा गुप्ता और वृंदा ग्रोवर जैसे वकीलों ने भी दलीलें दीं. उन्होंने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए. यह भी कहा कि जहां तक कानून का सवाल है, दुष्कर्म की पीड़िताएं इस बारे में बात नहीं करतीं। वे सामने नहीं आतीं। इसलिए सबसे पहले आत्मविश्वास पैदा करना जरूरी है। आज हमें नहीं पता कि अगर सीबीआई जांच शुरू कर दे तो महिलाएं सामने आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि पुलिस की बजाय महिलाओं से घटना के बारे में बात करने में पीड़ित महिलाओं के लिए सहूलियत होगी। एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति होनी चाहिए, जिसमें नागरिक समाज की महिलाएं हों, जिनके पास इससे निपटने का अनुभव हो.
हिंसा किसी के खिलाफ हो, हम गंभीरता से लेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से कई सवाल पूछे हैं. कल यानी मंगलवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई जारी रहेगी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मैतेई समुदाय के लिए पेश एक वकील को इस बात पर भी आश्वस्त किया कि यह सुनवाई निष्पक्ष है. चीफ जस्टिस ने कहा, “हिंसा किसी भी समुदाय के प्रति हिंसा हुई हो, हम उसे गंभीरता से लेंगे. यह सही है कि ज़्यादातर याचिकाकर्ता कुकी समुदाय की तरफ से है. उनके वकील अपनी बात रख रहे हैं. लेकिन हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं.”
सभी बेटियों की रक्षा कीजिए
सुनवाई के दौरान वकील बांसुरी स्वराज ने प.बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल और राजस्थान का भी मामला रखा. उन्होंने कहा कि सिर्फ मणिपुर की ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट को भारत की सभी बेटियों की रक्षा करनी चाहिए. बंगाल में पंचायत चुनाव प्रत्याशी को निर्वस्त्र किया गया. राजस्थान में अनुसूचित जाति महिलाओं का उत्पीड़न हुआ. इन पर भी मणिपुर जैसा आदेश हो. हालांकि, चीफ जस्टिस ने साफ किया कि यह सुनवाई मणिपुर को लेकर शुरू की गई है. इसमें उसी पर विचार होगा.