Varanasi News: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का आज 21वां दिन है। जिला जज के आदेश और सुप्रीमकोर्ट-हाईकोर्ट की सहमति के बाद एएसआई के अधिकारी सर्वे कर रहे हैं। आज सुबह करीब साढ़े 8 बजे सर्वे टीम काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार से ज्ञानवापी में दाखिल हुई। शाम पांच बजे तक सर्वे होगा। अब तक अब तक 20 दिन में 123 घंटे का सर्वे पूरा हो चुका है। हैदराबाद की जीपीआर टीम बुधवार को ही सर्वे में शामिल हुई है, जिससे अब जल्द ही सर्वे का काम कम्प्लीट होने के आसार हैं। जीपीआर तकनीक से हैदराबाद के एक्सपर्ट परिसर की सतह और भूतल की जांच करेंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के अनुसार दोनों पक्षों और उनके अधिवक्ताओं की मौजूदगी में सर्वे का काम शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। सर्वे का काम पूरा होगा, फिर एएसआई रिपोर्ट जिला जज की अदालत के समक्ष पेश करेगी।

सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक रहेगी टीम
ज्ञानवापी में साइंटिफिक सर्वे के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम कड़ी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम के बीच ज्ञानवापी परिसर में सात घंटे सर्वे करेगी। गुरुवार सुबह 8.30 बजे दाखिल टीम के कुछ देर बार वादी और उसके वकील भी ज्ञानवापी परिसर में पहुंचकर सरकारी वकील को अपनी हाजिरी दर्ज कराई। सर्वे लगभग 08:38 बजे शुरू हुआ और फिर 12.30 बजे तक चलेगा। इसके बाद लंच और नमाज के लिए रोका गया जो फिर 2.30 बजे से दोबारा शुरू होगा। सर्वे शाम पांच बजे पूरा होगा, इसके बाद टीम के सदस्य गेस्ट हाउस रवाना होंगे।
हैदराबाद से पहुंचे एक्सपर्ट
ज्ञानवापी परिसर का ASI आईआईएम बारीकी से साइंटिफिक सर्वे कर रही है। पहल दिन से परिसर की पश्चिमी दीवार, सभी बाहरी दीवार, गुंबद, व्यास जी का तहखाना, दक्षिणी तहखाना आदि की जांच की गयी है। सभी की स्केचिंग, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी कराई है। साथ ही सभी डाटा को टोपोग्राफी शीट अपर दर्ज कर पूरे परिसर की अलग-अलग थ्रीडी पिक्चर भी बनाई है। इसके बाद अब बुधवार को पहुंचे हैदराबाद के एक्सपर्ट ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार द्वारा सर्वे करने की कार्रवाई शुरू कर चुके हैं, जल्द ही मशीन से सर्वे शरू होगा।
क्या है GPR सर्वे ?
ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) एक ऐसी पद्वति है, जो किसी वस्तु या ढांचे को छुए बगैर ही उसके नीचे मौजूद कंक्रीट, केबल, धातु, पाइप या अन्य वस्तुओं की पहचान कर सकती है। इसकी मदद से 8-10 मीटर तक की वस्तुओं का पता लगाने में ली जाती है। इस तकनीक का उपयोग दुनियाभर में होता है। भारत में इसका इस्तेमाल सेना और ASI करती है। इसका रिजल्ट बहुत सटीक होता है। यह तकनीक बिना जमीन की खुदाई किए ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सच बाहर लाएगी।