वाराणसी में गंगा दशहरा के उपलक्ष पर गंगा तट पर साक्षात देवलोक उतर आया। देवसरिता मां गंगा के अवतरण पर काशी के मां भगवती की महाआरती में श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी उमड़ी कि दशाश्वमेध घाट पर पैर रखने तक की जगह नहीं बची। इस अवसर पर मां गंगा को छप्पन भोग लगाकर उनकी महा आरती की गई। लंबे समय तक लगातार शंखनाद किया गया तथा दशाश्वमेध घाट को 11000 दीपों से सजाया गया, वहीं अस्सी घाट पर शंख, डोल और नगाड़ों की धुनों पर लोग गंगा भक्ति भाव में डूबे नजर आए।
मां गंगा के तट पर हुवे कई सांस्कृतिक कार्यक्रम

आरती के बाद कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। मैथिली ठाकुर ने 3 भजन गाकर समां बांधा। वहीं, बनारस के आध्यात्मिक और संगीत से जुड़े लोगों को गंगा रत्न से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम जय मां गंगा सेवा समिति और ब्रह्माराष्ट्र एकम की ओर से किया गया।
एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान

मंगलवार को वाराणसी में गंगा दशहरा पर श्रद्धालु गंगा स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास कर रहे हैं। गंगा के धरती पर अवतरण होने वाले इस शुभ दिन पर काशी के 84 घाटों पर स्नान करने वालों की भीड़ रही। शाम छह बजे तक एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। घाटों पर स्नान के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने गंगाजल से अभिषेक किया। श्रद्धालु सत्तू, घड़ा, पंखा आदि दान करते हैं। दरअसल, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि को ही गंगा दशहरा मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा धरती पर प्रकट हुई थीं। शास्त्रों के मुताबिक, गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से 10 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।